Friday, April 1, 2022

इन्आम


ज़ुबाॅं भर से देते न वो इस ज़माने को पैग़ाम उम्दा ।।

वो ताला लगा मुॅंह पे करके दिखाते हैं हर काम उम्दा ।।

हाॅं अक्सर नहीं वो हमेशा ही करते हैं ऐसा कि सब ही ,

यही चाहें दें अपने हाथों उन्हें कोई इन्आम उम्दा ।।

-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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