हाॅं ! बहुत लोग न पर सच में चंद होते हैं ।।
सर झुकाकर भी जो ख़ासे बुलंद होते हैं ।।
कितने ही लगते हैं सूरत से अहमक़ ओ नादाॅं ,
अस्लीयत में जो बड़े अक़्लमंद होते हैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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