Sunday, September 23, 2018

मुक्त मुक्तक : 888 - भगवान बिक रहा है


   क्या क्या न इस जहाँ में सामान बिक रहा है ?
   बकरा कहीं ; कहीं पर इंसान बिक रहा है ।।
   हैरान हूँ कि सब कुछ महँगा यहाँ है लेकिन ,
   सस्ता दुकाँ दुकाँ में भगवान बिक रहा है ।। 
   -डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...