Tuesday, June 2, 2015

मुक्तक : 722 - सर से न ताज गिरा ॥


कल गिरा देना मगर कम से कम न आज गिरा ॥
ऐ ख़ुदा मुझपे रहम कर न ऐसी गाज गिरा ॥
जान को दाँव पे मैंने लगा जो पाया अभी ,
जान ले ले तू मेरे सर से वो न ताज गिरा ॥
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...