सच कहता हूॅं हर क्षण , प्रतिपल ,
मैं हूॅं तेरी प्रीत में पागल ।।
तेरी , मेरी क्या तुलना ? तू ,
स्वर्ण खरा मैं केवल पीतल ।।
मैं भी बजता , बजती तू भी ,
पर मैं घण्टा , तू है पायल ।।
मैं भी सबकी प्यास बुझाता ,
पर तू मदिरा , मैं सादा जल ।।
तेरा मेरा मेल कहाॅं ? तू ,
नील नदी मैं थार मरुस्थल ।।
माना मैं भी पुष्प हूॅं पर सच ,
मैं गुड़हल तू रक्तिम पाटल ।।
मैं गाता भी काक लगूॅं तू ,
चीखे भी तो लगती कोयल ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति