Friday, March 7, 2025

ग़ज़ल

 


बना दो इनको , बना दो उनको , 
हमें मिटा दो , हमारा क्या है ?
गुनाह सब ही के बख़्श दो बस , 
हमें सज़ा दो , हमारा क्या है ? 1
बस इक दफ़्आ ही तरेर ऑंखें , 
उन्हें दिखाओ तो तुमको मानें ,
हज़ारों ताने या गालियाॅं तुम , 
हमें सुना दो , हमारा क्या है ?2
वो देवता हैं , अदब से उनकी 
निकालो मय्यत , हम आदमी हैं ,
हमें बहा दो , हमें गड़ा दो , 
हमें जला दो , हमारा क्या है ?3
तुम उनसे करना , वफ़ा ही वर्ना, 
फ़ना वो रख देंगे तुमको करके ,
क़दम-क़दम पर फ़रेब हमसे 
करो , दग़ा दो , हमारा क्या है ?4
ये जान लो तुम , न होगा आसाॅं , 
तम्हारा उॅंगली उठाना उन पर ,
तमाम इल्ज़ाम हम पे झूठे , 
भले लगा दो , हमारा क्या है ?5 
वो काॅंच से भी हैं नाज़ुक उनको , 
कपास पर भी , जतन से रखना ,
हैं हम तो पत्थर , हमें पटककर , 
कहीं बिठा दो , हमारा क्या है ?6
बबूल के काॅंटों की हों नोकें 
या पत्थरों के हों टेढ़े ऑंगन ,
हैं माहिर ए रक़्स हमको जब-तब 
कहीं नचा दो , हमारा क्या है ?7
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति 



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