अंदाज़ ए बयाॅं मेरा न औरों सा और था !!
कहने का भी मुझमें न सलीका न तौर था !!
अल्फ़ाज़ असरदार न आवाज थी बुलंद ,
सच फिर भी किसी दौर में मेरा भी दौर था !!
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
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मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
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