दरारों से ज्यों वर्जित दृश्य ऑंखें फाड़ तकते हैं ।।
यों ज्यों कोई व्यक्तिगत दैनंदनी चोरी से पढ़ते हैं ।।
कि ज्यों कोई परीक्षा में नकल करने से डरता है ,
कुछ ऐसे ढंग से एकांत में हम उससे मिलते हैं ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
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दरारों से ज्यों वर्जित दृश्य ऑंखें फाड़ तकते हैं ।।
यों ज्यों कोई व्यक्तिगत दैनंदनी चोरी से पढ़ते हैं ।।
कि ज्यों कोई परीक्षा में नकल करने से डरता है ,
कुछ ऐसे ढंग से एकांत में हम उससे मिलते हैं ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...