Friday, July 15, 2022

ऑंधियों के हवाले



















ऑंधियों के हवाले हो ख़ुद को , बनके पत्ता उड़ाए मैं जाऊॅं ।।
यूॅं तो उठते नहीं फूल तक भी , पत्थर अब सर उठाए मैं जाऊॅं ।।
ऐसे हालात हैं पेश मेरे , मुझसे सब छिन गए ऐश मेरे ,,
वाॅं न चाहूॅं जहाॅं भूल जाना , ग़म में भर सर झुकाए मैं जाऊॅं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...