Friday, July 12, 2019

मुक्तक : 902 - चकोरा


कब मेरी जानिब वो शर्माकर बढ़ेंगे यार ?
जो मैं सुनना चाहूँ वो कब तक कहेंगे यार ?
ज्यों चकोरा चाँद को देखे है सारी रात ,
इक नज़र भर भी मुझे वो कब तकेंगे यार ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

4 comments:

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (14 -07-2019) को "ज़ालिमों से पुकार मत करना" (चर्चा अंक- 3396) पर भी होगी।

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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
....
अनीता सैनी

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । अनिता सैनी जी ।

मन की वीणा said...

वाह बहुत खूब ।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

शुक्रिया । मन की वीणा जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...