Tuesday, April 30, 2019

मुक्त मुक्तक : 896 - देखते हैं


कि बेख़ौफ़ हो हम न डर देखते हैं ।।
मचल कर तेरी रहगुज़र देखते हैं ।।
तू दिख जाए खिड़की पे या अपने दर पर ,
तेरे घर को भर-भर नज़र देखते हैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

4 comments:

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! शास्त्री जी ।

सु-मन (Suman Kapoor) said...

सुंदर

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! अनीता सैनी जी ।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ! सुमन कपूर जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...