Saturday, April 27, 2019

मुक्त मुक्तक : 894 - ख़्वाब


नींद नहीं जब-जब आती 
तब-तब बस ऐसे सोता मैं ।।
लेटे-लेटे आँखें खोले 
सौ-सौ ख्व़ाब पिरोता मैं ।। 
भूले-भटके सच हो जाएँ 
तो नच-नच पागल न बनूँ ,
टुकड़े-टुकड़े हो जाएँ तो 
भी ना रोता-धोता मैं ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...