Thursday, August 16, 2018

बड़ाकवि अटल


वो सियासी पूस की 
रातों का सूरज ढल गया ।।
इक बड़ाकवि अटल 
नामक इस जगत से टल गया ।।
राजनीतिक पंक में 
खिलता रहा जो खिलखिला ,
हाय ! वो सुंदर मनोहर 
स्वच्छ भोर कमल गया ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

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