Sunday, January 28, 2018

मुक्त मुक्तक : 875 - लुकता


  
                मत ज़रा भी सोचना आख़िर गया हूँ मैं किधर ?
                ढूँढना भी मत कहीं जा कर उधर या आ इधर ।
                गिरके तेरी नज़रों से तुझसे ही तो बचने को मैं ,
                उस जगह जा छिप गया कोई नहीं लुकता जिधर ।।
                               -डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...