Friday, January 5, 2018

मुक्तक : 874 - औरों को गिराने गड्ढे में.........

         
  औरों को गिराने गड्ढे में ख़ुद डूब कुएँ में बैठे हैं ।।
  ग़ैरों को हराने में अपना सब हार जुएँ में बैठे हैं ।।
   उनको ना नजर आ जाएँ बस ये सोचकर उनके ही आगे ,
    कुछ दूर किसी गीली लकड़ी से उठते धुएँ में बैठे हैं ।।
   -डॉ. हीरालाल प्रजापति

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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...