बादलों से गिर धरा पर कड़कड़ाती बिजलियों को ।।
जल से बाहर तड़फड़ाती फड़फड़ाती मछलियों को ।।
फूल पर मंडराते भँवरों स्वस्थ-सुंदर तितलियों को ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
तंग गलियां सूनी सड़कों घर-मकानों के लिए ।।
मंदिरों की आरती कोठों के गानों के लिए ।।
सब पुलिसवालों को , सेना के जवानों के लिए ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
पापियों का सर जो काटें उन छुरी-तलवारों को ।।
शत्रु के पग में चुभें उन कीलों को उन ख़ारों को ।।
वक्त पर जो काम आये उन बुरे-बेकारों को ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
जल से बाहर तड़फड़ाती फड़फड़ाती मछलियों को ।।
फूल पर मंडराते भँवरों स्वस्थ-सुंदर तितलियों को ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
तंग गलियां सूनी सड़कों घर-मकानों के लिए ।।
मंदिरों की आरती कोठों के गानों के लिए ।।
सब पुलिसवालों को , सेना के जवानों के लिए ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
पापियों का सर जो काटें उन छुरी-तलवारों को ।।
शत्रु के पग में चुभें उन कीलों को उन ख़ारों को ।।
वक्त पर जो काम आये उन बुरे-बेकारों को ।।
यदि करें स्वीकार तो शुभकामना नव वर्ष की ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
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