Thursday, March 16, 2017

*मुक्त-मुक्तक : 868 - किसी का मौन



किसी की चीख़ और ना फिर 
किसी का मौन रोकेगा ॥
न हिन्दू सिक्ख ईसाई 
न जैन औ जौन रोकेगा ॥
जब ऊग आएँगे मेरी पीठ 
पर दो पंख उड़ने को ,
मुझे छूने से फिर आकाश
 बोलो कौन रोकेगा ॥
( जौन = यवन या मुसलमान )
डॉ. हीरालाल प्रजापति


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मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...