हाथियों जैसा न बन , मत चींटियों सा भी ;
बाज भी मत बन , न बन , तू तितलियों सा भी ;
साॅंप मत बन , और न बन , तू केंचुए जैसा ;
गाय भी मत बन , न बनना , तेंदुए जैसा ;
मत कभी बनना तू मछली , या मगर कोई ;
ना तू बनना देवता , ना जानवर कोई ;
सीखले ये बात , औरों को भी ये सिखला ,
आदमी है तू ! तो बस ; बन आदमी दिखला ।।
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति