बना दो इनको , बना दो उनको ,
हमें मिटा दो , हमारा क्या है ?
गुनाह सब ही के बख़्श दो बस ,
हमें सज़ा दो , हमारा क्या है ? 1
बस इक दफ़्आ ही तरेर ऑंखें ,
उन्हें दिखाओ तो तुमको मानें ,
हज़ारों ताने या गालियाॅं तुम ,
हमें सुना दो , हमारा क्या है ?2
वो देवता हैं , अदब से उनकी
निकालो मय्यत , हम आदमी हैं ,
हमें बहा दो , हमें गड़ा दो ,
हमें जला दो , हमारा क्या है ?3
तुम उनसे करना , वफ़ा ही वर्ना,
फ़ना वो रख देंगे तुमको करके ,
क़दम-क़दम पर फ़रेब हमसे
करो , दग़ा दो , हमारा क्या है ?4
ये जान लो तुम , न होगा आसाॅं ,
तम्हारा उॅंगली उठाना उन पर ,
तमाम इल्ज़ाम हम पे झूठे ,
भले लगा दो , हमारा क्या है ?5
वो काॅंच से भी हैं नाज़ुक उनको ,
कपास पर भी , जतन से रखना ,
हैं हम तो पत्थर , हमें पटककर ,
कहीं बिठा दो , हमारा क्या है ?6
बबूल के काॅंटों की हों नोकें
या पत्थरों के हों टेढ़े ऑंगन ,
हैं माहिर ए रक़्स हमको जब-तब
कहीं नचा दो , हमारा क्या है ?7
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति