अंदाज़ ए बयाॅं मेरा न औरों सा और था !!
कहने का भी मुझमें न सलीका न तौर था !!
अल्फ़ाज़ असरदार न आवाज थी बुलंद ,
सच फिर भी किसी दौर में मेरा भी दौर था !!
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
■ चेतावनी : इस वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी समस्त रचनाएँ पूर्णतः मौलिक हैं एवं इन पर मेरा स्वत्वाधिकार एवं प्रतिलिप्याधिकार ℗ & © है अतः किसी भी रचना को मेरी लिखित अनुमति के बिना किसी भी माध्यम में किसी भी प्रकार से प्रकाशित करना पूर्णतः ग़ैर क़ानूनी होगा । रचनाओं के साथ संलग्न चित्र स्वरचित / google search से साभार । -डॉ. हीरालाल प्रजापति
अंदाज़ ए बयाॅं मेरा न औरों सा और था !!
कहने का भी मुझमें न सलीका न तौर था !!
अल्फ़ाज़ असरदार न आवाज थी बुलंद ,
सच फिर भी किसी दौर में मेरा भी दौर था !!
-डाॅ. हीरालाल प्रजापति
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...