Friday, November 15, 2019

मुक्तक : 937 - ख़ूबसूरत



  ( चित्र Google Search से अवतरित )
एक से बढ़कर हैं इक बुत , तुझसी मूरत कौन है ?
हुस्न की दुनिया में तुझसा ख़ूबसूरत कौन है ?
तू सभी का ख़्वाब , तू हर नौजवाँ की आर्ज़ू ,
ऐ परी ! लेकिन बता तेरी ज़रुरत कौन है ?
-डॉ. हीरालाल प्रजापति

6 comments:

अनीता सैनी said...

जी नमस्ते,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(१६-११ -२०१९ ) को " नये रिश्ते खोजो नये चाचा में नया जोश होगा " (चर्चा अंक- ३५२१) पर भी होगी।

चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….

अनीता सैनी

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

शुक्रिया । अनिता सैनी जी ।

Rohitas Ghorela said...

जिस्म को छोड़कर रूह में उतर जाने वाले इश्क की जरूरत है खूबसूरती को। बड़े प्यार अल्फ़ाज़।

मेरी कुछ पंक्तियां आपकी नज़र 👉👉 ख़ाका 

Unknown said...

Bahut Sundar

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद ।

डॉ. हीरालाल प्रजापति said...

धन्यवाद । रोहितास जी ।

मुक्तक : 948 - अदम आबाद

मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...