■ चेतावनी : इस वेबसाइट पर प्रकाशित मेरी समस्त रचनाएँ पूर्णतः मौलिक हैं एवं इन पर मेरा स्वत्वाधिकार एवं प्रतिलिप्याधिकार ℗ & © है अतः किसी भी रचना को मेरी लिखित अनुमति के बिना किसी भी माध्यम में किसी भी प्रकार से प्रकाशित करना पूर्णतः ग़ैर क़ानूनी होगा । रचनाओं के साथ संलग्न चित्र स्वरचित / google search से साभार । -डॉ. हीरालाल प्रजापति
Thursday, February 28, 2019
Sunday, February 24, 2019
ग़ज़ल : 271- कनीज़
मैं तो सिर्फ़ एक कनीज़ हूँ ।।
तुम्हें किस लिए फिर अज़ीज़ हूँ ?
हूँ खिलौना मुझसे लो खेल लो ,
कि मैं आदमी नहीं चीज़ हूँ ।।
मुझे तुम धुएँ में ले आए फिर ,
मैं दमा का जबकि मरीज़ हूँ ।।
मुझे मारने का है हुक़्म उसे ,
कि मैं जिसका जानी हफ़ीज़ हूँ !!
न छुपाए पुश्त न सीना ही ,
मैं वो तार - तार कमीज़ हूँ ।।
न निगाह देख के मैली कर -
मुझे मैं बहुत ही ग़लीज़ हूँ ।।
न उठाके गोदी में ले मुझे ,
बड़ा भारी और दबीज़ हूँ ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
Saturday, February 16, 2019
Subscribe to:
Posts (Atom)
मुक्तक : 948 - अदम आबाद
मत ज़रा रोको अदम आबाद जाने दो ।। हमको उनके साथ फ़ौरन शाद जाने दो ।। उनसे वादा था हमारा साथ मरने का , कम से कम जाने के उनके बाद जाने दो ...
